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Showing posts from March, 2018

ग़ज़लें: बशीर बद्र ग़ज़ल संग्रह

ग़ज़ल संग्रह आस / बशीर बद्र उजाले अपनी यादों के / बशीर बद्र उजालों की परियाँ / बशीर बद्र रोशनी के घरौंदे / बशीर बद्र सात जमीनें एक सितारा / बशीर बद्र फूलों की छतरियाँ / बशीर बद्र मुहब्बत खुशबू है / बशीर बद्र कुछ प्रतिनिधि ग़ज़लें Bashir Badr कभी यूँ मिलें कोई मसलेहत, कोई ख़ौफ़ दिल में ज़रा न हो / बशीर बद्र वो चांदनी का बदन ख़ुशबूओं का साया है / बशीर बद्र सर से चादर बदन से क़बा ले गई / बशीर बद्र मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ना मिला / बशीर बद्र वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा / बशीर बद्र सुबह का झरना / बशीर बद्र हमारा दिल / बशीर बद्र आ चांदनी भी मेरी तरह जाग रही है / बशीर बद्र आँसुओं की जहाँ पायमाली रही / बशीर बद्र आस होगी न आसरा होगा / बशीर बद्र अभी इस तरफ़ न निगाह कर / बशीर बद्र ऐ हुस्न-ए-बेपरवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ / बशीर बद्र ऐसा लगता है ज़िन्दगी तुम हो / बशीर बद्र भीगी हुई आँखों का ये मन्ज़र न मिलेगा / बशीर बद्र भूल शायद बहुत बड़ी कर ली / बशीर बद्र दुआ करो कि ये पौधा सदा हरा ही लगे / बशीर बद्र दूसरों को हमारी सज़ायें न दे / बशीर बद्र गाँव म

ग़ज़लें: अहमद फ़राज़ ग़ज़ल नज़्म संग्रह

ग़ज़ल संग्रह ख़ानाबदोश / फ़राज़ दर्द आशोब / फ़राज़ ये मेरी ग़ज़लें वे मेरी नज़्में / फ़राज़ ज़िंदगी ! ऐ ज़िंदगी ! / फ़राज़ ग़ज़ल एवं नज़्म Ahmad Faraz अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और / फ़राज़ अजब जूनून-ए-मुसाफ़त में घर से निकला था / फ़राज़ अब के तज्दीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँ / फ़राज़ अब के बरस भी / फ़राज़ अब के रुत बदली तो ख़ुशबू का सफ़र देखेगा कौन / फ़राज़ अब नये साल की मोहलत नहीं मिलने वाली / फ़राज़ अल्मिया / फ़राज़ अव्वल अव्वल की दोस्ती है अभी / फ़राज़ आँख से दूर न हो / फ़राज़ इज़्हार / फ़राज़ इन्हीं ख़ुश-गुमानियों में कहीं जाँ से भी न जाओ / फ़राज़ इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की / फ़राज़ इस दौर-ए-बेजुनूँ की कहानी कोई लिखो / फ़राज़ इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ / फ़राज़ उसका अपना ही करिश्मा है फ़सूँ है यूँ है / फ़राज़ उसको जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ / फ़राज़ उसको जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ / फ़राज़ उसने कहा सुन / फ़राज़ उसने सुकूत-ए-शब में भी अपना पयाम रख दिया / फ़राज़ एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते ? / फ़राज़ ऐसे चुप हैं